(lahari bai,jivan parichay,wikipedia,biography,dindori,mp)लहरी बाई का जीवन परिचय,विकिपीडिया,बायोग्राफी,डिंडोरी (lahari bai biography in hindi)lahari bai,lahari bai wikipedia,lahari bai in hindi,lahari bai millets,lahari bai dindori,lahari bai brand ambassador,lahari bai mp
आइये मिलिए लहरी बाई(LAHRI BAI) से, लहरी बाई की कहानी उन्ही की जुबानी | STORY OF LAHRI BAI
आदिवासी महिला लहरी बाई जो कभी अपने शहर से बाहर नही निकली और उन्हें मिली पुरे भारत में पहचान! 10 साल तक अपने आसपास के गांवों में घूम-घूमकर 150 किस्म के दुर्लभ बीज ढूढ़कर चला रही है अपना मिलेट्स बीज बैंक, आसपास के गांवों में किसानों को खेती के लिए बाँट रही है बीज ताकि “आने वाले पीढ़ियाँ जान सके पूर्वजो के समय के स्वाद”।
आखिर है कौन लहरी बाई | LAHRI BAI
मध्यप्रदेश के डिंडोरी जिले में स्थित बजाग के एक छोटे से गाँव सिलपीड़ी में रहने वाली लहरी बाई बैगा जनजाति से है। लहरी बाई की उम्र 27 वर्ष है और ये अपने माता पिता के साथ रहती है। इनकी माँ चेती बाई ने बताया कि लहरी बाई समेत उनके 11 बच्चे थे जिसमें 9 भाई बहन अब नही रहे है और एक अन्य बेटी जिसकी शादी हो चुकी है।
लहरी बाई को लेकर उनकी माँ ने कहा कि माता पिता के साथ रहकर उनकी सेवा करना और खेती किसानी में सहायता करना उनको बहुत पसंद है इसके चलते लहरी बाई ने शादी नही की वे अपना जीवन अपने बूढ़े माँ बाप के साथ ही बिताना चाहती है।
कैसे आया अनाजों को संरक्षण करने का विचार
लहरी बाई को शुरू से ही खेती किसानी में बहुत रूचि थी। वे अपने पूर्वजो से खेती किसानी और बीजों के बारें में जानकारी लेती रहती है। उनके पूर्वजो से उन्हें बेवर और पारंपरिक खेती और मोटे अनाज को सुरक्षित रखने की जानकारी मिली। उनके पूर्वजो ने उन्हें बताया की कैसे बेवर बीज के खेती से आने वाले अनाज शरीर के लिए पौष्टिक होते है। इसके बाद से ही वे बीजो को खोजना और संभालने के काम में लग गई।
इन्होने बताया कि वे करीब 10 साल तक अन्य गाँव में घूम-घूमकर बीज ढूढ़कर लाती थी और बहुत ध्यान से बीजों को इकट्ठा करके रखती थी। उन्होंने अबतक लगभग 150 किस्मों के दुर्लभ बीजों को इकट्ठा कर अपना बीज बैंक बनाया है। इतना ही नही वे आसपास के गाँव में जाकर किसानों को बीज भी बाँटती है और खेती करने के लिए कहती है। जिससे कि आने वाले समय में ये बीज लुप्त ना हो और नई पीढ़ी के लोगों को अपने पूर्वजो के समय का स्वाद मालूम चले।
एकत्रित मोटे अनाज आखिर है किस किस्म के
लहरी बाई इन मोटे अनाज का बीज बैंक चलाती है। इन्होने अपने घर के एक अलग कमरे में इन बीजों को बहुत ही ध्यान से संभालकर और सुरक्षित रखा हुआ है, जिसमें दलहनी फसल बिदरी रवास, झुंझुरु, हिरवा, बैगा राहड़ के बीज है, कुटकी के बीज की कुछ किस्में जैसे बड़े डोंगर कुटकी, छोटाही कुटकी, भदेली कुटकी, सिकिया, नान बाई कुटकी, नागदावन कुटकी, सिताही कुटकी, बिरनी कुटकी, चार कुटकी, लाल डोंगर कुटकी, सफ़ेद डोंगर कुटकी है।
इसके अलावा सांभा, सलहार, कांग, मढ़िया, कोदो जैसे बीजों की कई किस्मों के अनाज संग्रहित करके रखा हुआ है। आज के समय में ऐसे बहुत कम लोग है जिनको इन अनाजों के बारें में जानकारी होगी।
खेती के लिए बीज और परंपरागत तरीकों के जरिये किसानों को करती है प्रेरित
लहरी बाई आसपास के अलग-अलग गांवों और क्षेत्रों में जाकर किसानों से मिलती है और उन्हें खेती करने के लिए बीज देती है साथ ही खेती करने के लिए उन्हें पारंपरिक खेती के तरीकों को इस्तेमाल करने की सलाह भी देती है। आखिर में फसल के पैदा होने के बाद वितरण किए गए बीज की मात्रा से एक किलो अधिक वापस ले लेती है ताकि बीज बैंक में प्राकृतिक बीजों की मात्रा बढ़ती रहे।
इनका कहना है कि उन्हें ऐसा करने से ख़ुशी मिलती है। आजकल खेती की नई नई तकनीक आ गई है जिससे किसान नई तकनीकों के जरिये खेती करते है और अपने पारंपरिक तरीकों को भूलते जा रहे है साथ ही पुराने मोटे अनाजों की खेती में ध्यान नही देते है इसलिए वे पारंपरिक खेती को बचाने और इसे अधिक बढ़ावा देने के लिए अपने बीज बैंक के जरिये किसानो को बीज वितरित करती है।
बीज बैंक के जरिये मिली पहचान
इनके अनुसार पहले उनके क्षेत्र में उनकी कोई खास पहचान नही थी लेकिन बीज बैंक बनने के बाद उनके गाँव और जिले के लोग उन्हें धीरे धीरे जानने लगे है इतना ही नही लहरी बाई के हौसलों और मेहनत के चलते उनको एक बड़ी पहचान मिली है इतना ही नही उनके मिलेट्स बैंक को स्थानीय स्तर के साथ साथ देश स्तर के भी पुरुस्कार मिले हुए है।
सम्मान और पुरस्कार
लहरी बाई के द्वारा स्थापित बीज बैंक पर दूरदर्शन ने लगभग 2 मिनट की शॉर्ट स्टोरी भी दिखाई है। इसके साथ ही प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी जी ने अपने इन्स्टाग्राम ट्विट और रेडियो कार्यक्रम “मन की बात” में लहरी बाई और उनके द्वारा स्थापित बीज बैंक की तारीफ करते हुए कहा कि आप महिलाओं और सभी लोगों के लिए प्रेरणा है।
लहरी बाई के मिलेट्स बैंक के बारे में UNO संयुक्त राष्ट्र संघ में चर्चा का विषय बन चुकी है। इनको मिलेट्स का ब्रांड एंबेसडर घोषित किया गया है। यूनेस्कों (UNO) ने 2023 को ईयर और मिलेट्स घोषित किया है।
दिल्ली के सी ऑडिटोरियम में 12 सितंबर को आयोजित किए गए वैश्विक संगोष्ठी के बड़े कार्यक्रम के दौरान संरक्षण और संवर्धन के लिए लहरी बाई को 2021-22 वर्ष के लिए “पादप जीनोम संरक्षक किसान सम्मान” दिया गया है और सबसे गर्व की बात यह है कि यह सम्मान लहरी बाई को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू जी ने स्वयं अपने हाथों से दिया साथ ही लहरी को प्रोत्साहित भी किया।
वर्ष 2023 में इंदौर में आयोजित हुए G20 शिखर सम्मेलन में भी इन्होंने बहुत नाम कमाया, वर्तमान मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने G20 सम्मेलन की बैठक में सभी जनप्रतिनिधियों के बीच इनकी तारीफ करते हुए उनके काम की सराहना की।
मोटे अनाज को एकत्रित और संरक्षण के काम को लेकर लहरी बाई की सराहना हर कोई व्यक्ति कर रहा है। साथ ही इस नेक कार्य में अपना योगदान देने से भी लोग पीछे नही हट रहे है। डिंडोरी वर्तमान कलेक्टर विकास मिश्रा ने भी लहरी बाई को प्रोत्साहित करते हुए भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान की स्कोलरशिप के जोधपुर केंद्र में लहरी बाई का नाम दिया है। इसके साथ ही इन्होने अपने 2 कमरे के कच्चे मकान में से एक कमरे में बीज का संरक्षण करके रखा हुआ है जिसके बाद कलेक्टर विकास मिश्रा ने जल्द से जल्द इनको आवास योजना का लाभ दिलाने का आश्वासन भी दिया है।
डिंडोरी जिले के अन्य महान हस्तियों के बारे में जानिए
- पदम् श्री से सम्मानित डिंडोरी के लोक कलाकार अर्जुन सिंह धुर्वे
- दुर्गा बाई व्याम | Durga Bai Vyam : गोंड चित्रकला में उल्लेखनीय कार्य हेतु पदमश्री से सम्मनित
FAQ’S
लहरी बाई कौन है ?
लहरी बाई डिंडोरी जिले के छोटे से गाँव सिलपिढ़ी में रहने वाली एक बैगा आदिवासी किसान महिला है जिसने अपने कई वर्षों की मेहनत से अपने घर में 150 किस्म के मोटे अनाज का बीज बैंक चला रही है। इनके बीज बैंक की वजह से इन्हें पूरी दुनिया में बहुत सम्मान दिया जा रहा है।
लहरी बाई का गाँव कहा है ?
लहरी बाई का गाँव डिंडोरी जिले के बजाग के पास सिलपिढ़ी नामक गांव है जो जिला मुख्यालय से 60 किलोमीटर की दुरी पर है।
लहरी बाई ने शादी क्यों नही की ?
लहरी बाई ने अब तक शादी नही की है, उनका कहना है कि अगर वे शादी करती है तो फिर उन्हें अपना घर छोड़कर ससुराल जाना पड़ेगा जिसके बाद उनके माता-पिता अकेले रह जायेंगे। लेकिन वो अपना सारा जीवन अपनी माता-पिता के साथ उनकी सेवा करते हुए गुजरना चाहती है।
मिलेट्स क्या है ?
मोटी अनाज वाली फसलों को मिलेट्स कहा जाता है। मोटे अनाज में ज्वार, बाजार, सांवा, रागी, कोदो, कुट्टू, कुटकी, चीना, मढ़िया, कांग, झुंझरू शामिल है। मोटे अनाज में पोषक तत्व बहुत अधिक मात्रा में पाए जाते है इसलिए मोटे अनाज को सुपरफूड भी कहा जाता है।
लहरी बाई क्यों है चर्चा में ?
लहरी बाई इन दिनों काफी चर्चा में बनी हुई है इसका मुख्य कारण है कि पहली बार डिंडोरी जैसे ट्राइबल क्षेत्र की बैगा आदिवासी महिला को राष्ट्रीय स्तर पर सम्मान दिया गया है, हाल ही में राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू द्वारा उनको सम्मान प्राप्त हुए है, इसके साथ ही मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से लेकर प्रधानमन्त्री नरेंद्र मोदी तक लहरी बाई से मिल चुके है और इनके कार्य के लिए इन्हें प्रोत्साहन भी कर चुके है।
लहरी बाई के पास कौन-कौन सी किस्म के बीज है?
लहरी बाई के 150 किस्म में मोटे अनाज का बीज बैंक है जिसमें प्रमुख रूप से ज्वार, बाजार, सांवा, रागी, कोदो, कुट्टू, कुटकी, चीना, मढ़िया, कांग, झुंझरू शामिल हैज्वार, बाजार, सांवा, रागी, कोदो, कुट्टू, कुटकी, चीना, मढ़िया, कांग, झुंझर शामिल है।