हल्दी करेली | Haldi Kareli- जानिए कहाँ है डिंडोरी का मिनी गोवा  

mekalsuta
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हल्दी करेली डिंडोरी:-  जिला मुख्यालय से 44 किमी. दूर समनापुर विकासखंड में स्थित यह प्राकृतिक स्थान एक अच्छा पिकनिक स्पॉट है। हल्दी करेली में बुढनेर नदी के द्वारा छोटे छोटे सुन्दर झरने बनाये जाते है। झरने से पानी गिरने के बाद नीचे रेत का एक बड़ा मैदान बना है, जो देखने में गोवा के समुद्र तट जैसा दिखाई देता है। इसी वजह से इस स्थान को डिंडोरी का मिनी गोवा कहा जाता है। यहाँ बुढनेर नदी घने साल के वनों के बीच से बहुत ही शांति से बहती है, रास्ते में मिले वाले चट्टानों के कारण छोटे-छोटे झरने बन जाते है। यह दृश्य अति मनोहारी दिखाई देता है।  

हल्दी करेली

हल्दी करेली में झरने के पास स्थित चट्टानें और पत्थर का रंग पीला और सिल्वर (चांदी) जैसा दिखाई देता है, जिस पर सूरज की किरणें पड़ने से बहुत ही सुन्दर नजारा देखने को मिलता है। चट्टानों के बीच में कहीं-कहीं गुफा या खोह बन गई है। यह घने जंगलों से घिरा स्थान है जहाँ दूर- दूर से लोग पिकनिक मनाने आते है। 

हल्दी करेली

झरने के पास ही एक मंदिर और एक चट्टान है, जिसकी स्थानीय लोगो के द्वारा पूजा की जाती है और रोजाना काफी संख्या में लोग यहाँ पूजा करने आते है। बारिश और ठण्ड के मौसम में यह पूरा क्षेत्र हरियाली से भर जाता है जिससे यहाँ का प्राकृतिक सौन्दर्य अनुपम दिखाई देता है। बारिश में नदी का जल स्तर बढ़ने से झरना और भी आकर्षक लगता है जिसके कारण यहाँ बड़ी संख्या में पर्यटक आते है। 

हल्दी करेली नाम कैसे पड़ा | How did Haldi Kareli get its name?

हल्दी करेली में बुढनेर नदी के द्वारा बनाये गये झरने के पास स्थित चट्टानों और पत्थरों के रंग पीला (हल्दी)और चांदी जैसा होने के कारण यह दृश्य आकर्षक और मनमोहक दिखाई देता है, इसी कारण से इस स्थान का नाम हल्दी करेली पड़ा। शांत प्रवाह से आग बढ़ते हुए नदी के किनारे सफ़ेद रेत का विशाल मैदान गोवा के समुद्र तट की याद दिलाता है।

हल्दी करेली

हल्दी करेली कैसे पहुचे | How to reach Haldi Kareli?

हल्दी करेली डिंडोरी से 44 किमी और समनापुर से 21 किमी दूर है। डिंडोरी से बिछिया मार्ग पर समनापुर से 13 किमी दूर पक्की सड़क पर चलने के बाद 8 किमी अन्दर जाने पर हल्दी करेली गाँव आता है। यहाँ से पक्की सड़क खत्म हो जाती है और फिर यहाँ से 1.5 किमी का कच्चा रास्ता पर आगे जाकर एक छोटे नाले को पार करने के बाद बुढनेर नदी नजर आती है। इस कच्चे मार्ग में ठण्ड और गर्मी में वाहन से जा सकते है, परन्तु बारिश में रास्ता कीचड़ से अवरुद्ध हो जाता है जिस कारण यहाँ पैदल ही जाना पड़ता है।

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