कारोपानी श्याम मृग संरक्षित क्षेत्र: डिंडोरी जिला मुख्यालय से 17 किमी दूर डिंडोरी-अमरकंटक मार्ग से 4 किमी अन्दर कारोपानी ग्राम स्थित है। इस स्थान में लुप्तप्राय श्याम मृग को पहाड़ियों के बीच कभी भी घूमते हुए देख सकते है। श्याम मृग संरक्षित क्षेत्र में काले हिरण और धब्बेदार हिरणों के लिए प्रसिद्ध है।
कारोपानी में वन्यजीव और मानव सभ्यता का सह अस्तित्व देखने को मिलता है इस कारोपानी श्याम मृग संरक्षित क्षेत्र में मानव और हिरण एक दुसरे से साथ शांति से रहते है। कभी कभी बाहरी तत्वों की वजह से इन हिरणों को खतरा होता है और कुछ इसका शिकार भी हो गये है।
स्थानीय लोगों ने काफी समय से इनकी सुरक्षा का बीड़ा उठाया हुआ है। इनके संरक्षण का श्रेय गांव वालों को भी जाना चाहिए, लम्बे समय से स्थानीय लोग श्याम मृगों को शिकारियों से बचाते हुए आये है। कारोपानी वनग्राम है जो म.प्र. वन क्षेत्र के अंतर्गत आता है और इसे म.प्र. वन विभाग संरक्षित करता है।
कारोपानी श्याम मृग संरक्षित क्षेत्र
वर्तमान में वन विभाग के आंकड़ों के अनुसार कारोपानी श्याम मृग संरक्षण क्षेत्र में 175 मादा हिरण और 96 नर हिरण है। श्याम मृग और धब्बेदार दुर्लभ प्रजाति के हिरण को आप यहाँ दूर-दूर तक फैले समतल जंगल में उछलते-कूदते देख सकते है। कारोपानी श्याम मृग संरक्षित क्षेत्र डिंडोरी में पर्यटन का केंद्र बनते जा रहा है और देशी पर्यटक के साथ-साथ विदेशी पर्यटक भी श्याम मृग को देखने आते ह। यहाँ केवल श्याम मृग और धब्बेदार हिरण के आलवा कोई दुसरे जंगली जानवर देखने को नहीं मिलेंगे।
कारोपानी श्याम मृग संरक्षित क्षेत्र में वन्यजीव संरक्षण के नियम कड़े है। यहाँ आप सावधानी पूर्वक पार्क में घूम सकते है क्योंकि स्थानीय वन्यजीव आपको नुकसान पंहुचा सकते सकते है इसलिए सावधानी बरतें और प्राकृतिक सुन्दरता का आनंद ले। यहाँ पर्यटक वन्य जीवों को कोई सामग्री नहीं खिला सकते।
कारोपानी श्याम मृग संरक्षित क्षेत्र के बारे में डिंडोरी जिले की मुख्य वेबसाइट पर देखें।
कृष्ण मृग/ श्याम मृग/ Blackbuck
श्याम मृग का वैज्ञानिक नाम “Antilope Cervicapra” है। इसे भारतीय मृग के नाम से जानते है। ये मूल रूप से नेपाल और भारत में पाए जाते जाते है। भारत में राजस्थान, मध्यप्रदेश, तमिलनाडु पर ओडिसा में प्रमुखता से पाए जाते है। वन्यजीव संरक्षण अधिनियम-1972 के अनुसूची-1 के अनुसार कृष्ण मृग का शिकार करना या उन्हें नुकसान पहुचना कानून अपराध है और प्रतिबंधित भी है।
श्याम मृग पानी की पर्याप्त मात्रा वाले स्थान, घास के मैदानों और कम जंगल के क्षेत्रों में सर्वाधिक पाए जाते है। इन्हें घास के मैदान का प्रतीक माना जाता है। नर और मादा हिरण अलग-अलग रंग के होते है। नर मृग के उपरी शरीर का रंग काला/गहरा भूरा होता है और निचले शरीर और आँखों के चारो तरफ सफ़ेद रंग होता है। मादा हिरण हल्के भूरे रंग की होती हो और सींग में छल्लों जैसे आकृति बनी होती है।
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