अमरकंटक दर्शन / अमरकंटक की घुमने की जगह

mekalsuta
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अमरकंटक दर्शन / अमरकंटक की घुमने की जगह

नमस्कार दोस्तों, चलिए आज आपको नर्मदा के उद्गम स्थान अमरकंटक दर्शन / अमरकंटक की घुमने की जगह के दर्शनीय स्थलों के बारे में बताते है। अमरकंटक जहाँ से लगभग 5 नदियों का उद्गम हुआ है जिसमे से तीन बड़ी नदी नर्मदा, सोन और जोहिला है।  नर्मदा नदी तो भारत की तीसरी सबसे बड़ी नदी है। विन्ध्य और सतपुड़ा पहाड़ियों के मध्य में स्थित प्रकृति की अमूल्य धरोहर को सहेजे हुए अमरकंटक तीर्थराज के नाम से प्रसिद्ध है अगर आप भी अमरकंटक जाने का सोच रहे है तो हमारे आज के इस लेख को पूरा पढ़िए।

अमरकंटक कहाँ है? अमरकंटक दर्शन / अमरकंटक की घुमने की जगह

अमरकंटक:- मध्यप्रदेश के अनुपपुर जिले की पुष्पराजगढ़ तहसील में बसा मैकल पर्वतश्रेणी की सबसे ऊँची श्रंखला है यह 1065 मीटर की ऊंचाई में विंध्याचल, सतपुड़ा और मैकल की पहाड़ियों का मिलन होता है। अमरकंटक का मार्ग घने वनों, ऊँची पहाड़ियां , शांत वातावरण और घुमावदार रास्तों से भरा हुआ है यहाँ का मौसम लुभावना होता है तीर्थयात्रीयों के आलवा यहाँ प्रकृति प्रेमी भी आते है।

अमरकंटक दर्शन में हमें देखने के लिए बहुत कुछ मिल जायगा, यह धार्मिक, ऐतिहासिक और प्राकृतिक धरोहर का संगम है यहाँ पर हर धर्म के दर्शनीय स्थल देखने को मिल जायंगे अमरकंटक से जहा एक तरफ नदियों का उद्गम होता है जिसमे नर्मदा सबसे मुख्य नदी है वही यहाँ का इतिहास और ऐतिहासिक धरोहर मंदिर स्थापत्य कला के अनुपम उदाहरण है वर्तमान समय में मानव के व्यस्त जीवन से दूर यहाँ व्यक्ति का मन शांत होगा।

अमरकंटक के दर्शनीय स्थल / अमरकंटक दर्शन / अमरकंटक की घुमने की जगह

नर्मदा उद्गम कुंद – यहाँ से नर्मदा नदी का उद्गम हुआ है इसके चारो और अनेक मंदिर जिनमे नर्मदा और शिव मंदिर, श्री सूर्य नारायण मंदिर, कार्तिकेय मंदिर, श्री राम मंदिर, ग्यारह रूद्र मंदिर, दुर्गा मंदिर, शिव मंदिर, अन्नपूर्णा मंदिर मुख्य है। मान्यताओं के अनुसार इस स्थान में पूर्व में बांसों का झुण्ड था जिसके स्थान में मंदिर का निर्माण करा दिया गया है यहाँ से माँ नर्मदा छोटी पतली धारा के रूप में निकलती है और आगे जाते हुए विशाल रूप धारण कर लेती है।

माई की बगिया – यह नर्मदा नदी का वास्तविक उद्गम स्थल है नर्मदा उद्गम कुण्ड के पूर्व दिशा में चरणोंतक कुण्ड के नाम से प्रसिद्ध है प्राचीन मान्यता के अनुसार माँ नर्मदा अपनी सहेलियों के साथ यहाँ खेलती थी। यह स्थान अपने प्राकृतिक सौन्दर्य के लिए प्रसिद्ध है यहाँ पर गुलबकावली नमक पौधा पाया जाता है जो की आयुर्वेदिक नेत्र ओषधि के रूप में प्रयोग आता है।  

कपिल धारा– यह नर्मदा नदी का पहला जलप्रपात है  यह उद्गम कुंद से 6 कि.मी. दूर स्थित 100 फिट ऊँचा जलप्रपात है निकट ही कपिल ऋषि का आश्रम है उन्ही के नाम पर जलप्रपात का नाम कपिलधारा पड़ा | इसके पास ही कपिलेश्वर मंदिर और अनेक गुफ़ाए है जहाँ साधू संत निवास करते है यहाँ आपको अमरकंटक की प्राकृतिक सुन्दरता के दर्शन होंगे और यहाँ का शांत वातावरण, सुन्दर वन, घाटी, आयुर्वेदिक वनस्पति के सुन्दर दर्शन होंगे।अमरकंटक दर्शन / अमरकंटक की घुमने की जगह

दूध धारा – यह कपिलधारा से 1 कि.मी. आगे जाने पर मिलता है  यहाँ दुर्वासा ऋषि ने तप किया था| यहाँ नर्मदा का जल दूध की तरह सफ़ेद दिखाई देता है इसीलिए इसे दुधधारा कहते है। 

जालेश्वर धाम– इस स्थान से जोहिला नदी का उद्गम होता है पुराणों में कहा गया है की यहाँ माता पार्वती और शिवजी यहाँ निवासरत थे और महारुद्र मेरु कहा गया है भगवन शिव का मंदिर निर्मित है जहा महाशिवरात्रि और सावन में भक्तों का मेला लगा रहता है।

श्री यंत्र मंदिर– यह अपनी तरह का एक मात्र मंदिर है इसका निर्माण 1991से किया जा रहा है सिका निर्माण गुरु पुष्य नक्षत्र में ही किया जाता है पुरे मंदिर का निर्माण अष्ट धातु से किया जा रहा है  यह मंदिर चारों  तरफ से जंगल से घिरा हुआ है और यह श्री यंत्र के आकर में बन रहा है इस मंदिर के प्रवेश द्वार में 4 सर वाली देवी की विशाल प्रतिमा है यहाँ त्रिपुर सुन्दरी की प्रतिमा स्थापित की गई है।

कलचुरी मंदिर – यहाँ पर कलचुरी काल के मंदिरों का समूह है जिनका निर्माण 1041-1073 इसवी में कलचुरी नरेश कर्णदेव ने कराया था इन मंदिरों में मुख्य मंदिर कर्ण मंदिर, पातालेश्वर मंदिर  आदि है।

भृगु कमंडल– अमरकंटक में महर्षि भृगु ने कठोर तप किया और देव दर्शन के बाद अपना कमंडल यही  छोड़ कर चले गए आज भी इस स्थान में कमंडल के आकर की आकृति बनी हुई है जिसमे जल की प्राप्ति होती है इस चट्टान में जल की धारा निरंतर बहती है।

अमरेश्वर महादेव मंदिर – यह मंदिर छत्तीसगढ़ सीमा पर स्थित है इस मंदिर में भगवन शिवजी की विशाल शिवलिंग स्थापित हैजिसकी उचाई 11 फिट है इस शिवलिंग में जलाभिषेक के लिए सीढियां बनी हुई है यहाँ सोमवार को भक्तों की भीड़ रहती है।

शोणदेश शक्तिपीठ – माँ सती के 51 शक्तिपीठों में से एक है, यहाँ पर सती का ‘दाहिना नितंब’ इस स्थान पर गिरा था यहाँ सती माता को नर्मदा और भगवान शिव को भद्रसेन कहा जाता है।अमरकंटक दर्शन / अमरकंटक की घुमने की जगह 

सोनमुड़ा– नर्मदा नदी के उद्गम से 1.5 किमी की दुरी से इसी स्थान से सोन नदी का उद्गम होता है और यह 100 फ़िट की ऊंचाई से झरने की तरह गिरती है और आगे जाकर गंगा नदी में मिल जाति है यहाँ जाने का मार्ग बहुत सुन्दर है यहाँ आपको सुन्दर घाटी देखने को मिलेगी।

जैन मंदिर – श्री सर्वोदय दिगंबर जैन मंदिर यहाँ पर जैन धर्म के प्रथम तीर्थंकर श्री आदिनाथ की मूर्ति स्थापित की गई है मंदिर का निर्माण में सीमेंट का लोहा का उपयोग नहीं किया जा रहा है पूरा मंदिर संगमरमर से निर्मित की जा रही है।अमरकंटक दर्शन / अमरकंटक की घुमने की जगह 

अमरकंटक कैसे पहुचे – 

अमरकंटक दर्शन के लिए हम सड़क मार्ग से अमरकंटक मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ से नजदीकी शहरों से अच्छी और पक्की सड़कों से जुदा हुआ है यहाँ से अनुपपुर 72 किमी  शहडोल 100 किमी और जबलपुर 240 किमी की दुरी पर है, हवाई मार्ग से अमरकंटक जाने के लिए सबसे नजदीकी एयरपोर्ट जबलपुर डुमना हवाईअड्डा 245 किमी.  दूर है।यहाँ से आप बस, कैब या गाड़ी बुक करके अमरकंटक तक पहुंच सकते हैं। अनूपपुर जिले की आधिकारिक वेबसाइट के पर्यटन स्थल में अमरकंटक की अन्य जानकारी देखने के लिए यहाँ क्लिक करे।

यह भी देखें –

पचमढ़ी में घुमने के स्थान देखने के लिए यहाँ क्लिक करे।

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