देवगांव संगम मंडला | Devgaon Sangam Mandla

mekalsuta
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Devgaon Sangam Mandla

देवगांव संगम मंडला : जिले का एक मुख्य पर्यटन स्थल है, इस स्थान में नर्मदा और बुढनेर नदी का संगम हुआ है। यह अपनी सांस्कृतिक विरासत, ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व रखता है। यहाँ जमदग्नि ऋषि की तपोस्थली और आश्रम है। मंडला जिला मुख्यालय से 35 किमी. दूर मोहगांव विकासखंड के देवगांव नाम के गाँव में स्थित है।

यहाँ आपको शिव मंदिर भी देखने को मिलेगा, जिसे पातालेश्वर महादेव मंदिर कहते है। यह बहुत ही पवित्र स्थान है। निकट ही एक बड़ा मैदान है, जहाँ मकर संक्राति में मेला लगता है और पिकनिक मानने आते है। निकट ही जमदग्नि आश्रम है नर्मदा परिक्रमा वासी के मार्ग में यह स्थल पड़ता है। 

 Devgaon Sangam Mandla
देवगांव संगम मंडला

देवगांव संगम मंडला भले ही विकास व् पर्यटन के रूप में उपेक्षित है, लेकिन ऐतिहासिक और धार्मिक दृष्टि से इस क्षेत्र का बड़ा महत्व है। जन श्रुतियों के अनुसार इस क्षेत्र में भगवान परशुराम का जन्म हुआ था किन्तु भगवान परशुराम के जन्म की बात अन्य स्थानों पर भी की जाती है इसलिए इसे प्रमाणिक नही कहा जा सकता है।  जमदग्नि ऋषि के आश्रम के सौंदर्यीकरण की मांग की जाती रही है, किन्तु वर्तमान में इस तरह का विकास कार्य नही दिख रहा है। यह स्थान जर्जर हो गया है और अपनी महत्ता खोता जा रहा है।

देवगांव मकर संक्रांति मेला 

प्रतिवर्ष मकर संक्रांति के दिन देवगांव संगम मंडला में संगम मेले का आयोजन किया जाता है और बड़ी संख्या में भक्त स्नान करने और पिकनिक मनाने यहाँ आते है। मेले में तरह तरह की दुकाने लगती है। कहा जाता है कि मकर संक्रांति के दिन नदियों में स्नान करना शुभ होता है इसके साथ ही यहाँ शिवरात्रि और नर्मदा जयंती में मेला लगता है। 

गाँव में सबसे अधिक प्रसिद्ध गक्कड़ भर्ता होता है और लोग अक्सर पिकनिक में यही बनाते है। इस स्थान में आपको आसानी से कंडे मिल जायंगे। किन्तु यहाँ आपको मूलभूत सुविधा जैसे चेंजिग रूम और बाथरूम की कमी रहेगी। 

शिवलिग की  स्थापना | देवगांव संगम मंडला 

महर्षि जमदग्नि जी के द्वारा ही देवगांव संगम मंडला में शिवलिंग की स्थापना की गई थी, जिसका विशेष महत्व है। कहा जाता है की शिवलिंग में ताम्बे के पात्र से जल चढाने से मणि जैसी चमक दिखाई देती है और जो व्यक्ति जल चड़ाता है उसकी छवि भी उसमे दिखाई देती है। यह मंदिर लोगो की आस्था का केंद्र है। यहाँ आपके मन को अद्भुत शांति का अनुभव होगा।

देवगांव संगम मंडला
देवगांव संगम मंडला 

प्राचीन शिव मंदिर जो वर्तमान में वट बृक्ष के ताने से ढंक गया है। एक ऐसा मंदिर है जहा दो शिवलिंग और दो नंदी है जो अपने आप में विशेष है। नर्मदा और बुडनेर संगम में नदी के बीच में एक शिव मंदिर है। सभी मंदिर प्राचीन है, लेकिन इस क्षेत्र पर प्रशासन का अधिक ध्यान नहीं है।

अंतिम संस्कार से मोक्ष की प्राप्ति |देवगांव संगम मंडला

देवगांव संगम मंडला में पीपल के दो पेड़ है जिन्हें राम और श्याम नाम से जाना जाता है। इस स्थल में एक काली चट्टान है , मान्यता है की इस पत्थर में शवदाह करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है। 

महर्षि जमदग्नि परिचय |देवगांव संगम मंडला

महर्षि जमदग्नि एक महान ऋषि भृगुवंशी के पुत्र थे जिनकी गणना सप्त ऋषियों में की जाती है। पुराणों के अनुसार महर्षि जमदग्नि की पत्नी का नाम रेणुका था। जमदाग्नि अपनी पत्नि रेणुका के साथ जमदग्निश्व आश्रम देव गाँव संगम मंडला में रहते थे। यहां पर जितने साक्ष्य मिलते हैं उससे अनुमान लगाया जाता है कि भगवान परशुराम जी का जन्म इसी आश्रम में हुआ था। यहां पर जमदाग्नि ऋषि की प्राचीन यज्ञस्थली भी है। 

 Devgaon Sangam Mandla
महर्षि जमदग्नि आश्रम

महर्षि जमदग्नि और उनकी पत्नी रेणुका के पांच पुत्र हुए जिसमें से एक परशुराम थे। देवगांव संगम मंडला से 20-30 किमी दूर घुघरी विकासखंड में पाटनगढ़ के पहाड़ में एक तालाब है, जिसे भगवान परशुराम की तपोभूमि के नाम से जानते है। इसके सात ही कुछ साल पहले खनन में ककैया से भगवान परशुराम की दसवी शताब्दी की मूर्ति भी मिल गई है। जिस भोगोलिक स्वरूप का वर्णन जैसे कामधेनु पर्वत, देवशिला, गुप्तगंगा, अंधक प्रसंग एवं भ्रगु आश्रम अदि  पुराणों और संस्कृत ग्रंथों में मिलता है वह सब मंडला के जमदग्नि आश्रम और आस पास के प्रमाणों से स्पष्ट दर्शित है की यह पूरी तरह कल्पना नहीं है। 

महर्षि जमदग्नि और सहस्रबाहु | Devgaon Sangam Mandla

कथा के अनुसार हैहयवंशी राजा कार्तवीर्य अर्जुन, जिसे सहस्रबाहु के नाम से भी जाना जाता है ,अपनी सेना के साथ महर्षि जमदग्नि के आश्रम आता है। महर्षि ने इनका खूब स्वागत सत्कार किया। इनके पास एक कामधेनु थी, जो इच्छित फलों को प्रदान करनी वाली थी। इसके प्रभाव् से ही महर्षि ने राजा का स्वागत भव्य रूप में किया था। कामधेनु से प्रभावित होकर राजा अपने साथ कामधेनु को ले जाने की चेष्टा की, और  जमदग्नि ने क्रोधित होकर कामधेनु को ले जाने से माना किया तो कार्तवीर्य अर्जुन ने महर्षि जमदग्नि की हत्या कर दी और सर धड़ से अलग कर दिया और कामधेनु को अपने साथ ले गया। 

परशुराम और सहस्रबाहु  कार्तवीर्य अर्जुन| Devgaon Sangam Mandla

ऐसी मान्यताये है की परशुराम को जब यह ज्ञात हुआ तो पिता की हत्या से क्रोधित होकर उन्होंने राजा कार्तवीर्य अर्जुन को मार दिया और सम्पूर्ण सहस्रबाहु नगरी को नष्ट कर दिया। कामधेनु को बापस अपने आश्रम ले जाकर अपने पिता का अंतिम संस्कार किया, इसके साथ ही समस्त क्षत्रिय जाति को समाप्त करने का प्रण किया और प्रतिज्ञानुसार सम्पूर्ण विश्व से 21 बार क्षत्रियों का संहार किया। 

प्राचीन माहिष्मति संबंधी भौगोलिक एवं पुरातात्विक साक्ष्य जैसे ऋषि जमदग्नि आश्रम, नगर की भौगोलिक स्थिति, अग्नि का निवास स्थान( गर्म जल कुंड ), सहस्त्र बाहु मंदिर आदि नर्मदा तट पर स्थित वर्तमान मंडला नगर एवं उसके आस-पास उपलब्ध हैं जिनके विषय में सारगर्भित शोध की आवश्यकता है। यह कई प्राचीन ग्रंथो और साहित्य में अपने निशान पाता है और इसका मंडला के साथ एक मजबूत संबंध होने की संभावना है। देवगांव संगम मंडला

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