अजगर दादर | Ajgar Dadar : भारत के इस गाँव में अजगर की सबसे बड़ी दुनिया 

mekalsuta
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अजगर दादर- भारत में मध्यप्रदेश राज्य के मंडला जिले का सबसे प्रसिद्ध स्थान है अजगर दादर। जहाँ वन्य प्राणी प्रेमियों और पर्यटकों के लिए कान्हा राष्ट्रीय उद्यान आकर्षण का केंद्र था, अब अजगर दादर भी उनकी सूची में शामिल हो गया है। 

अजगर कोल्ड ब्लडेड होते है अर्थात इनका खून ठंडा होता है और ठण्ड के मौसम में इस स्थान में बड़ी संख्या में अजगर धूप सेंकने निकलते है। स्थानीय लोग अजगर की सुरक्षा को लेकर संवेदनशील है। शांत प्राणी और जहरीला न होने की वजह से ग्रामीण इन्हें परेशान नहीं करते।

अजगर दादर कहा है ?

मंडला जिला से लगभग 30 किमी. दूर कान्हा राष्ट्रीय उद्यान के बफर जॉन से लगे अंजनिया वन क्षेत्र के ग्राम ककैया में करीब 2 एकड़ के क्षेत्र में हजारों अजगरों का आवास है। इस स्थान की गहराई 40 फीट है, जो पूरी तरह खोखली है। यहाँ के पथरीली इलाके में चट्टानों और गुफाओं में सेकड़ों के संख्या में अजगर निवास करते है, जो ठण्ड के मौसम में धूप सेंकने बाहर आते है।

अजगर दादर 

वन विभाग के अनुसार यहाँ लगभग 1000-2000 अजगर है, इतनी बड़ी संख्या में अजगर मिलने के कारण इस स्थान का नाम अजगर दादर पड़ा। अजगर दादर का सीधा अर्थ है अजगरों के लिए मैदानी योजना।

छोटे-बड़े भारतीय रॉक पायथन इस क्षेत्र में बड़ी संख्या में आसानी से देखने को मिलते है। अजगर की इस प्रजाति को विशेषज्ञ बेहद दुर्लभ प्रजाति के तहत वर्गीकृत करते है। वन विभाग के अधिकारीयों के अनुसार इनके संरक्षण और संवर्धन की योजना तैयार की जा रही है वे इनके संरक्षण के लिय काम कर रहे है। 

अजगर दादर

जानकर के अनुसार ठण्ड के मौसम में तापमान के कम होने पर इन अजगरों को अपने शारीरिक तापमान को संतुलित बनाए रखने के लिए बाहर आना पड़ता है। लम्बे समय के लिए अजगर पत्थरों में धूप सेंकते आपको देखने को मिलेंगे। यहाँ एक या दो नहीं बल्कि हजारों की संख्या में अजगर धूप सेंकते देखने को मिलेंगे।

अनुसंधानकर्ताओं के अनुसार अजगर दादर में ये अजगर ठण्ड में सिर्फ धूप सेंकने बाहर नहीं आते है बल्कि यह समय उनके सहवास का होता है। अजगर के स्वभाव के अनुसार अकेले रहने वाले अजगर या रॉक पायथन सहवास के दौरान ही समूह में पाया जाता है इसके साथ ही इस स्थान की भौगोलिक स्थिति के कारण यहाँ इनकी संख्या इतनी अधिक है। 

अजगर दादर

1926 में आई थी बाढ़ 

बताया जाता है की इस स्थान में सन 1926 में जबरदस्त बाढ़ आई थी, जिसके कारण से यह पूरा इलाका खोखला /पोला हो गया था। तब से स्थान में विभिन्न प्रकार के जीव-जंतु जैसे चूहे,गिलहरी और खरगोश ने अपना बसेरा बना लिया। भोजन की तलाश में अजगर यहाँ आने लगे और धीरे-धीरे अजगरों की संख्या बढ़ने लगी और यह क्षेत्र अजगर दादर कहलाने लगा। 

यहाँ चूहे, गिलहरी और खरगोश पर्याप्त मात्रा में निवास करते है जिसके चलते अजगर को भोजन के लिए अधिक मशक्कत नहीं करनी पडती है। वे इनका शिकार कर अपना पेट भरते है। वर्ष 2014-2015 से वन विभाग के प्रयासों से यह स्थान लोगो की नजर में आया और धीरे-धीरे यहाँ भी पर्यटक आने लगे। 

अजगर दादर

अजगर दादर ठण्ड के समय मंडला जिले का दूसरा सबसे प्रमुख पर्यटन स्थल बन गया है। यहाँ दूर-दूर से पर्यटक आते है। अजगर दादर पर्यटकों के मन में काफी उत्सुकता पैदा करता है। झुण्ड में हजारों रॉक पायथन को देखना,पर्यटकों के लिए यह काफी उत्साह और रोमांच का विषय है। 

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