सूरज कुण्ड : भारत में आज भी कुछ ऐसे प्राचीन मंदिर है जिनकी कहानी आज भी रहस्य बनी हुई है। ऐसा ही एक चमत्कारी मंदिर मध्यप्रदेश के मंडला जिले में स्थित है और शहरका एक मुख्य धार्मिक स्थल है। यह मंदिर भगवान हनुमान जी को समर्पित है। यह मंदिर नर्मदा नदी के तट पर बना एक सुन्दर और एतिहासिक मंदिर है।
यहाँ की प्रतिमा दिन में तीन बार अपने रूप व् रंग में परिवर्तन करती है। कहा जाता है की यह मंदिर रामायणकाल का है। इस मंदिर में स्थापित प्रतिमा किसी विशेष दुर्लभ पत्थर से निर्मित होने के कारण भव्यता का प्रदर्शन करती है और दिव्य रूप में नजर आती है। हनुमान जी के चमत्कार सुनकर प्रतिदिन भक्तों की भीड़ बनी रहती है।
प्राचीन मंदिर स्थल
मंडला जिले से तीन किमी. दूर पुरवा ग्राम के पास सूरजकुंड स्थित है। नर्मदा नदी के किनारे निर्मित इस मंदिर परिसर में हनुमान जी का भव्य मंदिर है। मंदिर के उपर भगवान सूर्य की सात घोड़ों के रथ में सवार प्रतिमा है। इसके अलवा यहाँ भगवान शिव जी का मंदिर है और परिसर की खूबसूरती बढ़ाते पीपल और बरगद के पेड़ एक सात लगे हुए है।
मंदिर परिसर के शिव मंदिर के बाजु में नागा संप्रदाय के संत/महात्मा की समाधि लगी हुई है। कहा जा सकता है की इन्ही की तपस्या और त्याग के फलस्वरूप यह मंदिर परिसर इतना बड़ा धार्मिक स्थान बना है।
मंदिर परिसर के निकट ही सामुदायिक भवन बना हुआ है जहा नर्मदा परिक्रमा वासियों के रुकने की व्यवस्था की जाती है इस भवन में एक बड़ा हॉल और शौचालय की व्यवस्था है भवन में रसोई घर, कुछ कमरे और बरामदा भी है
सूरज कुण्ड में क्या है खास?
सूरज कुण्ड के इस प्राचीन मंदिर की खास बात यह है की यहाँ पर विराजित हनुमान प्रतिमा का दिन में बार 3 स्वरुप परिवर्तन होता है। यहाँ के पुजारी जी के अनुसार सुबह 4 बजे से 10 बजे तक प्रतिमा बाल स्वरुप में होती है इसके बाद 10 बजे से शाम 6 बजे तक युवा स्वरुप और शाम 6 से सुबह 4 बजे तक वृद्ध रूप में रही है। यह चमत्कार कैसे होता है यह बात एक रहस्य है स्थानीय लोगो के अनुसार यह भगवान का चमत्कार है।
कहा जाता है की मंदिर के निकट नर्मदा तट पर एक कुण्ड था, जिस पर सुबह के समय भगवान् सूर्यदेव दर्शन देते थे परन्तु 1926-1929 के आसपास आई बाढ़ में कुण्ड दब कर समाप्त हो गया। वर्तमान में सूरज कुण्ड के नर्मदा तट पर सूर्योदय और सूर्यस्त का दृश्य मनोरम और सुन्दर होता है और यहाँ आपको अध्यात्मिक अनुभूति होती है ।
पौराणिक मान्यता
मान्यता है की इस स्थान सूरज कुण्ड में भगवान सूर्य ने तपस्या की थी और उस दौरान कोई विघ्न न आये इसके लिए हनुमान जी को पहरा देने को कहा। तपस्या पूरी होने के बाद सूर्य देव तो यहाँ से चले गए किन्तु हनुमान जी को यही रहने को कहा।
तब से ही हनुमान जी प्रतिमा/मूर्ति के रूप में इस स्थान में विराजित है ,और कहा जाता है की सूर्य किरणें जैसे जैसे मूर्ति पर पड़ती है मूर्ति अपना रूप बदलती जाती है और समय के साथ रंग भी बदलता है।
सूरज कुण्ड में हनुमान जयंती की पहली शाम से यहां विविध आयोजन शुरू हो गए हैं. अखंड रामायण और हनुमान जी महाआरती का आयोजन हनुमान भक्तों द्वारा जारी है। मान्यता है की यहाँ पर भक्तों की मनोकामना अवश्य पूरी होती है। यहाँ वर्ष भर अनेक प्रकार के धार्मिक कार्यक्रम होते हैं | सूरज कुण्ड पर नर्मदा परिक्रमा करने वाले परिक्रमा वासी भी आते है और रात गुजारते है यहाँ के स्थानीय कार्यकर्ताओं के द्वारा परिक्रमावासिओं की सेवा की जाती है।
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