Kanha National Park | कान्हा राष्ट्रीय उद्यान : भारत में बड़े राष्ट्रीय उद्यानों में से एक कान्हा किसली राष्ट्रीय उद्यान है। मध्यप्रदेश अपने घने वन क्षेत्र, जंगली जानवर और बड़े राष्ट्रीय उद्यानों के कारण प्रसिद्ध है। यह मध्यप्रदेश का सबसे बड़ा व् सबसे पुराना राष्ट्रीय उद्यान है। कान्हा अपनी प्राकृतिक सुन्दरता, वनस्पति और जीव-जंतुओं के लिए प्रसिद्ध भारत में सर्वाधिक देखे जाने वाले पर्यटक स्थानों में से एक है।
कान्हा राष्ट्रीय उद्यान का नाम कान्हा वह पाई जाने वाली चिकनी मिट्टी जिसे कनहार कहा जाता है के नाम पर रखा गया है और एक अन्य मान्यता के अनुसार कान्हा के निकट जंगल के पास के गाँव में एक कान्वा नाम के सिद्ध पुरुष रहते थे जिनके नाम पर कान्हा नाम पड़ा।
कान्हा राष्ट्रीय उद्यान कहाँ है? Where is Kanha National Park
मध्यप्रदेश का सबसे बड़ा राष्ट्रीय उद्यान सतपुड़ा की मैकल पहाड़ियों में स्थित दो जिले मंडला और बालाघाट में अवस्थित है। यह क्षेत्र 940 वर्ग किमी. में फैला हुआ है, जिसका आकार घोड़े के पैर की तरह है। इसके अंतर्गत बंजर और हालोन की घाटी आती आती है।
1933 में वन्यजीव अभयारण्य घोषित किया गया और इसे 1955 में राष्ट्रीय उद्यान बना दिया गया। इसके बाद बाघों को सुरक्षा और प्राकृतिक आवास देने के उद्देश्य से 1974 में कान्हा राष्ट्रीय उद्यान को टाइगर रिजर्व घोषित किया गया। भारत के सबसे अधिक प्रशासित और प्रबंधन वाले राष्ट्रीय उद्यान में से एक है ।
कान्हा राष्ट्रीय उद्यान का इतिहास | History of Kanha National Park
कान्हा राष्ट्रीय उद्यान मुलरूप से गोंडों की भूमि ”गोंडवाना” का हिस्सा था, जो की गोंड और बैगा जनजाति के द्वारा बसाया गया था। वर्तमान में भी इनका आस पास के क्षेत्र में इनका प्रभाव और निवास जारी है। यह जनजाति के लोग स्थानांतरित कृषि करते है, और वनोपज पर निर्भर है। 1862 में सर्वप्रथम वन प्रबंधन नियम लागू हुआ और 1879 में आरक्षित घोषित किया गया।
1880 के आसपास रुडयार्ड किपलिंग ने “द जंगल बुक” के माध्यम से इस क्षेत्र को एक अलग पहचान मिली। 1933 में वन्यजीव अभयारण्य घोषित किया गया और इसे 1955 में राष्ट्रीय उद्यान बना दिया गया। जानवरों के सरंक्षण के प्रयास किये जाने लगे इसके बाद बाघों को सुरक्षा और प्राकृतिक आवास देने के उद्देश्य से 1974 में कान्हा राष्ट्रीय उद्यान को टाइगर रिजर्व घोषित कर दिया गया।
कान्हा राष्ट्रीय उद्यान क्यों प्रसिद्ध है? Why is Kanha National Park famous?
मध्य प्रदेश का राजकीय पशु बारहसिंगा यहाँ पाया जाता है और हिरन की इस विलुप्त होती प्रजाति को अपने सही प्रबंधन और संरक्षणवादी दृष्टिकोण के साथ एक सफल प्रजनन कार्यक्रम के द्वारा विलुप्त होने से बचाया है कान्हा में 350 से अधिक प्रकार की वनस्पति और पक्षी जीव जंतु पाए जाते है कान्हा में जैवविविधता समृद्ध है।
बारहसिंगा – इसे कान्हा का रत्न भी कहते है . भारत में यह एकमात्र स्थान है, जहां आप इन्हें देख सकते है। यह मध्यप्रदेश का राजकीय पशु है, “भूरसिंह द बारासिंघा” का परिचय कराने वाला भारत का पहला बाघ अभयारण्य है।
बाघ- बाघों को सुरक्षा और प्राकृतिक आवास देने के उद्देश्य से 1974 में कान्हा राष्ट्रीय उद्यान को टाइगर रिजर्व घोषित कर दिया गया। यहाँ बाघों का घनत्व अधिक है इसलिए यहाँ बाघ देखने की अधिक सम्भावना है ।
बम्हनी दादर-बम्हनी दादर कान्हा उद्यान का सबसे ऊँचा स्थान है और यह सनसेट पॉइंट के रूप में प्रसिद्ध है यहाँ से डूबता सूरज और घने वन का एक सुन्दर दृश्य देखने को मिलता है। अगर आप बार्किंग हिरन और भारतीय बाईसन देखना चाहते है तो इस स्थान पर अवश्य जाये।
कान्हा संग्रहालय| Kanha Museum– यह कान्हा के खटिया गेट के पास स्थित है। आप यहाँ वर्ष में कभी भी जा सकते है। इसका रख रखाव् वन विभाग के द्वारा होता है यह कान्हा की विशेषताओं, वन्य जीवों की विविधता और जनजातीय संस्कृति को प्रदर्शित करता है ।
श्रवण ताल- एक छोटा तालाब है कहा जाता है की रामायणकाल के श्रवण कुमार अपने माता-पिता को पानी पिलाने इसी तालाब के पास ले जाते है जहा राजा दशरथ ने उन्हें मार दिया था इसी कारण इसका नाम श्रवण ताल रखा गया।
कान्हा नेशनल पार्क की जैवविविधता
- वनस्पति | Flora – कान्हा की वनस्पति उष्णकटिबंधीय नम और शुष्क पर्णपाती प्रकार की है और यहाँ घास का मैदान, साल के जंगल और अन्य मिश्रित वन पाए जाते है। प्राकृतिक रूप से यह वन उच्च और निम्न भूमि में विभक्त है। कान्हा में 200 से अधिक फूलों की प्रजाति और 70 से अधिक पेड़ों की प्रजातियां पाई जाती है, इसके अलावा साल,चार, धवा, बीजा, आंवला, साजा, तेंदू, पलास,बीजा, हल्दू, धौरा,महुआ और बांस के नाम भी शामिल हैं। लेगर स्ट्रोमिया, बोसवेलिया, पटरोकार्पस और मधुका फूलों की प्रमुख प्रजातियां हैं।
- पशुवर्ग | Fauna- कान्हा में घास के मैदान नदी, नाले और खड्डे वन्यजीवों के लिए प्राकृतिक आवास है यहाँ पर रॉयल बंगाल टाइगर्स और बारहसिंगा सबसे प्रमुख है, जो पर्यटकों को आकर्षित करते है इसके अलावा पार्क में तेंदुआ, गीदड़, चित्तीदार स्तनधारी बाघ, चीतल, सांभर, बारहसिंगा, चौसिंघा, गौर, लंगूर, जंगली सुअर, जंगली कुत्ते, जंगली बिल्ली, आलसी भालू, लकड़बग्घा, काला हिरन, रूड मोंगोज, बैजर, इंडियन हरे, इंडियन फॉक्स,भौंकने वाले हिरण पाए जाते हैं। बारहसिंगा दलदल में रहते है और यहाँ बाघों का घनत्व अधिक है इसलिए यहाँ बाघ देखने की अधिक सम्भावना है ।
- पक्षी | Birds- कान्हा नेशनल पार्क में 300 प्रजाति के पक्षी पाए जाते है, जो पर्यटकों और फोटोग्राफर के लिए आकर्षण का विषय है। यह प्रवासी और निवासी पक्षी का घर है। यहाँ के मुख्य प्रजातियां ब्लैक आइविस एशियन ग्रीन बी-इटर , कैटल एग्रेट, पैराकीट पक्षी, ग्रीन कबूतर, रॉक कबूतर, कोयल, स्प्रफाउल, पेनहास, रोलर्स, इंडियन ग्रे होर्नबिल, मटर मुर्गी, सारस, तालाब के बगुले, रगेट्स, भारतीय मटर आदि देखने को मिलते है।
कान्हा राष्ट्रीय उद्यान कब जाना चाहिए?
हर साल कान्हा राष्ट्रीय उद्यान अक्टूबर से जून तक खुला रहता है। अक्टूबर से मार्च के बीच मौसम सर्द, सुहावना और वातावरण में ठंडक रहती है। इसके अलवा मार्च से जून के बीच वनस्पति सुख जाने से बाघ आसानी से देखने को मिलते है। गर्मी के समय बाघ अपनी प्यास बुझाने जल स्त्रोतों के पास आते है ,बाघों को देखने का यही समय सबसे अच्छा होता है। जुलाई से सितम्बर तक यह पर्यटकों के लिए बंद रहता है।
सफारी बुक करने के लिय मध्यप्रदेश वनविभाग की ऑफिसियल वेबसाइट पर जाकर आप सफारी बुक कर सकते है
कान्हा राष्ट्रीय उद्यान कैसे जाएँ / पहुचे – How to Reach Kanha National Park
कान्हा के दो मुख्य प्रवेश द्वार है खटिया और मुक्की। खटिया का द्वार मंडला में है जो किसली, कान्हा और सरही का मार्ग खोलता है, और मुक्की द्वार बालाघाट क्षेत्र में है जो मुक्की को कवर करता है। आप अपनी सुविधा के अनुसार निम्न मार्गों का चयन कर सकते है-
- सड़क मार्ग: कान्हा राष्ट्रीय उद्यान जाने के लिए मंडला और बालाघाट जिले देश के अन्य हिस्सों से सड़क मार्ग से जुड़े हुए है और नजदीक लगे राज्यों से भी अच्छे से जुड़ा हुआ है जबलपुर, नागपुर और रायपुर के साथ सड़क मार्ग से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है।
- हवाई मार्ग: कान्हा राष्ट्रीय उद्यान देश से सबसे नजदीकी हवाई अड्डा जबलपुर जो 165 किमी. की दूरी पर स्तिथ है। इसके अलावा नागपुर हवाई अड्डा जो 266 किलोमीटर दूर है और ये दोनों ही हवाईअड्डे से नियमित उड़ाने होती है और सभी प्रमुख शहरों से सीधे जुड़ा है।
- रेल मार्ग: सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन जबलपुर और गोंदिया है यहाँ से आप बस या टैक्सी के द्वारा कान्हा जा सकते है।
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